एक यादगार प्रस्तुति सूतपुत्र मंच पर समीक्षक अजामिल सभी चित्र विकास चौहान
विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान इलाहाबाद ने नाटककार विनोद रस्तोगी के बहुचर्चित नाटक सूतपुत्र की जगत तारन इंटर कॉलेज के प्रेक्षागृह मैं यादगार प्रस्तुति की महाभारत के बहुचर्चित पात्र कर्ण के अंतर्द्वंद को रेखांकित करता यह नाटक लिखा गया था उस समय इसकी वैचारिक ऊर्जा ने प्रेक्षकों को काफी झकझोरा था आज इसी विषय वस्तु पर बहुत से नाट्य आलेख उपलब्ध है स्वर्गीय विनोद रस्तोगी जी नहीं जब इस नाटक की रचना की थी इसमें समाहित मूल्यों के संघर्ष को पहली बार कोई नाटककार इतने साहस के साथ दर्शकों के सामने लाया था इस नाटक के फलक को देखते हुए जगत तारन का मंच काफी छोटा था लेकिन सूझबूझ से इसी मंच पर बहुत प्रभावी ढंग से खूबसूरत दृश्य की कंपोजीशन तैयार की गई नाटक का संगीत पक्ष जितना था प्रभावी था सभी अभिनेताओं ने अपने हिस्से का सर्वोत्तम नाटक को दिया कुछ अभिनेताओं के स्वर पात्रों के अनुकूल नहीं थे उन्हें काफी जोर लगाकर बोलना पड़ रहा था जिसके कारण पात्रों की संवेदनाए बाधित होती सी लगी इस नाटक का कथानक बार-बार अलग-अलग माध्यम से दर्शकों के रूबरू हुआ है बावजूद इसके यह प्रस्तुति अंत तक सभी को बांधे रही नाटक ने कई सवाल खड़े किए जिनका उत्तर तलाश करना मौजूदा दौर के समाज की जिम्मेदारी है इस नाटक का सबसे सुंदर पक्ष था वरिष्ठ प्रकाश संचालक व प्रकाश निदेशक सुजॉय घोषाल के निर्देशन में तैयार किया गया इस नाटक का प्रकाश डिजाइन रंग बिरंगी रोशनी को भी इस नाटक में एक अर्थ में बदल दिया गया रंग मंच को चार हिस्से में बांटा गया था और चारों पर डाला गया प्रकाश पात्रों के अंतर्द्वंद को और गहरा करता था नाटक के साथ इसका प्रकाश संचालन भी कथा के प्रभाव को बनाए रखने में सहायक रहा इस नाटक का निर्देशन आलोक रस्तोगी ने किया था । समीक्षक अजामिल सभी चित्र विकास चौहान
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