मंगलवार, 23 नवंबर 2010

सुविचार

आदमी को महान बनने के लिये आदमी को अपने से नीचे देखना चाहिए वही आदमी महान बन पाता है. विश्वास और अन्धविश्वास मे अंतर करना आना चाहिये. व्यक्ति को स्वयं मैं विश्वास करना बहुत जरुरी है. मन से बड़ा कोई भी भगवान नहीं है. जब.आप कोई गलत काम करते है तो आप का मन ही आप की आलोचना करता है. खुद को पहचान कर खुद की जय करना भी आना चाहिए. अगर आप ईश्वर को नही मानते तो आप खुद का ईश्वर बना कर उसे पूज सकते है. अपने विश्वास को कभी भी डिगने मत दो . विश्वास ही इन्सान को इन्सान बनता है.अगर आप विश्वासपात्र नहीं बन पाते है तो आप और जानवर मैं कोई अंतर नहीं है.किसी के विश्वास को ठेस पहुचाने का मतलब है खुद को चोट पहुचाना.खुद को इन्सान बनाना इन्सान की सबसे बड़ी उपलब्धि है.जीवन मे आदमी सब कुछ बन कर भी कुछ नहीं है जब तक आदमी इन्सान नहीं है.जिसके पास अक्ल है वह बलशाली है.क्योकि केवल शारीरिक बल कुछ नहीं कर सकता .अक्ल द्वारा सभी कार्य सहज हो जाता है.अक्लमंद इन्सान वही है जो अपने काम को शुरू करके सम्पन्न कर दे.बुद्धि के भी अनेक रूप है - प्रज्ञा,मति,चिंतन आदि.बुद्धि का उपयोग करके मानव ने बहुत नए-नए अविष्कार किये है.बुद्धि का उपयोग करके हरेक स्तर पर बड़ी क्रांति लायी जा सकी है.पहले सोचना और फिर आचरण करना ही बुद्धिमानी कहलाता है.पहले करना फिर सोचना वो मनमानी कहलाती है.संकट के समय आप अपने आप का दमन मत छोड़िए यानि अपने विचारो के प्रति आस्था को डिगने मत दीजिये फिर देखिये संकट आपके कैसे घुटने टेक देता है.विचार ही आदमी का जीवन है विचार ही मौत .विचारो के अनुसार ही आदमी का भविष्य का निर्माण और ध्वंस होता है.यदि आप के विचार नकारात्मक है तो आपके मन मैं भय उत्साहहीनता ,शंकाए आदि ही जन्म लेगी .नकारात्मक विचार ही व्यक्ति को जड़ कर देता है दीन-हीन बना देता है.जब किसी व्यक्ति पर संकट या कोई अचानक किसी बड़े काम की जिम्मेदारी पड़ती है तो उस समय उसके साह्स द्येर्य की परीछा आरम्भ हो जाती है ऐसे समय मैं उसके साह्स धेर्य ,सूझ-बूझ और विचार शक्ति को नष्ट नही होने देता ऐसे व्यक्ति तो परिस्तिथियों के बेकाबू होने पर अपना आप़ा खोता है और ही अपने इरादों से डिगता है.संकट के समय आप अपना दमन कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए अपने विचारो के प्रति अपनी आस्था को डिगने नहीं देना चाहिए.अगर आप अपने आप को पहचान गए तो आप को दूसरे को पहचानने में कोई भी मुश्किल नहीं होगी,स्वयं को जानो स्वयं मे बिश्वास करना आना बहुत जरुरी है।
  • मनुष्य का जीवन विचारों से ही चलता हैं। यदि विचार अच्छे हैं, तो जीवन अच्छा बनेगा। यदि विचार खराब हैं तो जीवन खराब हो जायेगा !!!
  • उँची सफ़लता उन्हीं लोगों को मिलती है, जो खुद पर विश्वास करते हैं, कि हमारे अन्दर परिस्थितियों से कुछ अधिक ताकत है।
  • बुद्धिमत्ता का अर्थ यह नहीं की गलतियाँ होंगी ही नहीं। बल्कि यह है की गलतियों को जल्दी ठीक कर लेंगे। सब से बुद्धिमान गलती नहीं करेगा।
  • सफ़लता का सूत्र छोटे से छोटा काम भी पूरी श्रद्धा, बुद्धि और लगन से करें, ईश्वर की कृपा से सफ़लता निश्चित मिलेगी।
  • जीवन कोई समस्या नहीं है, कि इस को सूलझाय़ा जाये, बल्कि जीवन तो एक सच्चाई है, जिस को आनन्द से अनुभव करना चाहिये। आशावादी बनें।

  • स्वर्ण हूँ तो क्या हुआ तपना पडेगा, हार बनाना हो तो फ़िर गलना पडेगा
    जिन्दगी तो हर घडी लेगी परीक्षा, जो दे उस को यहाँ पिटना पडेगा
  • सफ़लता के सूत्रः
  • . ध्यान से सुनना।
  • . गहराई से विचार करना।
  • . एक सही निर्णय लेना।
  • . उस को आचरण में लाना। सफ़लता आपके कदम छुएगी।
  • आपत्तियों में घबराना नहीं, बल्कि भगवान का धन्यवाद करना चाहिये, क्योंकि उसी समय में तो आप परिश्रम करके विकास कर पाते हैं।
  • एक मिनट हमारे जीवन को नहीं बदल सकता, लेकिन एक मिनट में लिया गया निर्णय हमारे जीवन को बदल सकता है। खूब विचार करके निर्णय लें।
  • उन्नति के लिये प्रतिदिन आत्म निरीक्षण करें आज कौन सा अच्छा कार्य नहीं हो पाया जो करना चाहिये था। और कौन सा गलत हुआ जो नहीं करना था।
  • कितना भाग्यवान होगा वह व्यक्ति जिस का साथी बुद्धिमान हो, उस को समझता हो, और उस के सब अच्छे कार्यों में सहयोग देता हो। भाग्यवान बनें।
  • आप के पास धन इतना होना चाहिये, कि आप की मुख्य आवश्यकतायें पूरी हो जायें, आवश्यकतायें पूरी हो सकती हैं इच्छाएं पूरी नहीं हो सकती।
  • यदि आप चाहते हैं, की लोग आप पर विश्वास करें, तो पहले आप उन को यह विश्वास दिलायें, की आप उन पर विश्वास करते हैं !!!
  • "मैं सफ़ल तो हो ही जाऊँगा" ऐसा सोच कर आप उंचे लक्ष्य के लिये पूरी मेहनत नहीं करेंगे, और असफ़ल होने पर निराशा में जायेंगे।
  • यदि आप जानकारी प्राप् करना चाहते हैं, तो दिमाग में रोज कुछ डालें। यदि ज्ञान प्राप् करना चाहते हैं, तो दिमाग से रोज कुछ (कचरा) निकालें।
  • असफ़लताएं वह अवसर हैं, जो हमें सीखाती हैं की अगली बार कार्य को कैसे ठीक करना है। गलती कहाँ हुई और उसको कैसे दूर करें !!!!!
  • असफ़लता आप के लिये वरदान है या अभिशाप? यह तो हर एक व्यक्ति का अपना दृष्टिकोण है। बुद्धिमान लोग इसको वरदान समझ कर आगे बढते हैं।
  • यदि आप अपनी असफ़लताओं का परीक्षण करेंगे, तो उन्हीं में आप को कुछ ऐसे बीज मिलेंगे, जो आप की असफ़लताओं को सफ़लताओं में बदल देंगे !!!!!!
  • असफ़लताओं की तुलना में हमेशा सफ़लताओं के साथ जीना अधिक कठिन है। जीवन में असफ़लताएं आना तो स्वाभाविक है। फ़िर घबराना क्या !!!!!!!!
  • असफ़लता का तकलीफ लिये विना कोई उंची वस्तु आज तक कभी किसी को मिली नहीं और ही मिलेगी। इसलिये असफ़ल होने पर घबरायें नहीं।
  • क्षणिक असफ़लता को पूर्ण असफ़लता मान लेवें। व्यक्ति जीवन में अनेक बार असफ़ल होकर भी पूर्ण असफ़लता से बहुत दूर हो सकता है।
  • मुख्य कारणों से जीवन में असफ़लता मिलती है।
  • - जब हम विना सोचे कार्य करते हैं।
  • - जब हम सोचते ही रहते हैं, और कार्य नहीं करते।
  • किया हुआ कर्म कभी निष्फ़ल नहीं होता, और सदा तुरन्त भी फ़ल नहीं मिलता। इसलिये अज्ञानी लोग पाप करने से नहीं डरते। पाप करने से डरो।
  • उत्तम विचार यूँ ही नहीं जाते, उन के लिये गम्भीर चिन्तन चाहिये। जैसे बच्चों का निर्माण यूँ ही नहीं हो जाता, उस के लिये घोर परिश्रम चाहिये।
  • पुरुषार्थियों के जीवन में कभी कमी नहीं रहती है, यदि कभी कुछ कमी भी जाये, तो वे लोग फ़िर मेहनत करके कुछ अधिक ही पा लेते हैं।

  • उत्तम भविष्य ऐसी वस्तु नहीं है, जिस की आप को प्रतिक्षा करनी पडे। अपने भविष्य के निर्माता आप स्वयं हैं। मेहनत कीजिये > भविष्य बनाईये।

  • वृद्धावस्था में ज्ञान के कारण सम्मान मिलता है। परन्तु यदि वृद् व्यक्ति में ज्ञान हो तो वह वृद्धावस्था केवल बाल सफ़ेद ही करती है।
  • "सीडीयाँ उन के लिये बनी हैं, जिन्हे सिर्फ़ छत पर जाना है।
    आसमाँ पर हो जिनकी नजर, उन्हें तो रास्ता खुद बनाना है
  • अच्छा हृदय और अच्छा स्वभाव, दोनों चाहियें। अच्छे हृदय से कई रिश्तें बनेंगे, और अच्छे स्वभाव से वे रिश्ते जीवन भर टिकेंगे।
  • सब कुछ आसान है, यदि आप पुरुषार्थी हैं। सब कुछ कठिन है, यदि आप आलसी हैं। कृपया पुरुषार्थी बनें, आलसी नहीं।
  • . हजारों मील की लंबी यात्रा केवल कदम से शुरू होती है। अपनी जीवन यात्रा को शुरु करने के लिये कम से कम कदम तो बढायें !!!!!
  • . कला हमें उच् स्तर पर ले जायेगी। परन्तु उत्तम चरित्र ही हमें उस उच् स्तर पर टिकाये रखेगा। कृपया अपना चरित्र उत्तम बनायें।
  • अपने जीवन को कष्टमय और तनावयुक् बनाने का सबसे बडा कारण है > दूसरों से ऐसी आशाएं रखना किवे आप की इच्छानुसार सब कार्य करेंगे।
  • जिन परिस्थितियों को आप पसन्द नहीं करते, उन में आप कैसा व्यवहार करते हैं? उस से आप की योग्यता की परीक्षा हो जायेगी, आप कहाँ खडे हैं?
  • जो सीखना छोड देता है, वह वृद् हो गया है, चाहे वह २० वर्ष का हो या ८० का। सीखते रहने की प्रवृत्ति आप को जवान बनाये रखेगी।
  • एक छोटा सा छिद्र पानी की पूरी बालटी को खाली कर देता है, ऐसे ही थोडा सा अभिमान एक उत्तम हृदय की सारी उत्तमता को नष्ट कर देता है।
  • जीवन में हर चीजें नाशवान है, यदि सुख मिल रहा है, तो ठीक है। यदि दुःख भी मिल रहा है, तो वह भी सदा रहने वाला नहीं है।
  • जो लोग वचन देने में देर लगते हैं, वे वचन का पालन करने में विश्वास करने के योग्य होते हैं। जल्दी वचन दें, देना तो पूरा करें।
  • जो व्यक्ति बहानें बनाकर पीछे नहीं लौटता, कठिनाइयों से पूरा संघर्ष करता है, सफ़लता उसके कदम चुमती है। सफ़ल बनें।
  • "चुनौतियाँ" जीवन को रुचिकर बनाती हैं, और उन पर "विजय" जीवन को अर्थपूर्ण बनाता है। जीवन के कठिन निर्णय बुद्धिपूर्वक लेवें।
  • अपने आप से केवल एक ही प्रश् पूँछें सफलता प्राप् करने के लिये त्याग और तप करने को क्या आप तैय्यार हैं ?" यदि हाँ, तो सफ़लता निश्चित है।
  • यदि आप जीवन में कुछ विशेष परिवर्तन लाना चाहते हैं, तो कुछ विशेष कार्य करें। क्या ? दूसरों को सुख देने का अभ्यास बनायें।
  • जो लोग यह कहते हैं, कियह कार्य कभी नहीं हो सकता वास्तव में या तो वे आलसी हैं, या उनके कार्य में किसी ने बाधा डाली है।
  • दुराभिमानी लोगों की विशेषता वे दूसरों की प्रसन् कभी नहीं करतें। नम्र लोगों की खूबी > वे दूसरों की निन्दा कभी नहीं करतें।
  • जीवन में रास्तें हैं।
  • - या तो परिस्थितियों के साथ चलो, और खुश रहो।
  • - या परिस्थितियों को बदलने की जिम्मेदारी लो। शिकायत मत करो !!!!!
  • आप के चरित्र की सही पऱीक्षा तब होती है, जब यह पता चले कि - आप उन लोगों के लिये क्या करते हैं, जो आपके लिये कुछ भी नहीं कार सकते।
  • आप को प्रसन् रहने की आदत स्वयं ही बनानी होगी। कोई दूसरा आप को सुख नहीं दे सकता। आप की मेहनत कोई दूसरा नहीं कर सकता। स्वयं सुखी बनें।
  • जीवन उन के लिये मूल्यवान नहीं है, जो दूसरों के सुख में हिस्सेदार बनते हैं। बल्कि उन के लिये है, जो दूसरों के दुःख में उन का साथ देते हैं।
  • सामान्य स्थितियों से गुजरना कोई बडी बात नहीं है। कलाकारी तो तब है, जब आप कठिन परिस्थितियों में से सकुशल बाहार जायें।
  • अपनी मेहनत से प्राप् संपत्ति से जो सुख मिलता है, वह दूसरों की मेहनत से कमाई संपत्ति का भोग करने से कभी नहीं। स्वयं मेहनत करें।
  • केवल स्वप् देख देख कर लम्बा जीने से अच्छा है, कम जीकर कुछ इतिहास बनाना। भले ही कम जीयें, परन्तु कुछ इतिहास अवश्य बनायें।
  • "अभ्यास" व्यक्ति को "कुशल" नहीं बनाता। बल्कि "सही अभ्यास" व्यक्ति को "कुशल" बनाता है। सही चीजों का अभ्यास करें, गलत का नहीं।
  • बीती दुःखदायक बातों को याद करने से दुःख बढता हैं, उनको याद करें। बीती अच्छी घटनाओं को याद करके उनसे प्रेरणा लेकर उत्साही बनें।
  • जिससे आप प्रेम करते हैं, उसको दुःख देवें, दुःख देने में कुछ ही क्षण लगेंगे, लेकीन उसका प्रेम वापस प्राप् करने में कई वर्ष लग जायेंगे।
  • एक छोटी यात्रा भी आप के लिए कठिन होगी, जब आप यात्रा में अकेले होंगे। एक लम्बी यात्रा भी आप के लिए आसान होगी, जब कोई साथी आप के साथ होगा।
  • आश्चर्य > जब कोई हमारे दिल में प्रवेश करता हैं, तो दिल हलका लगता हैं। और जब कोई हमारे दिल को छोड देता हैं, तो यह भारी हो जाता हैं।
  • भगवान् ने आपकी सभी इच्छित वस्तुएं नहीं दीं, परन्तु आवश्यक वस्तुएं तो सब की सब दीं। इसलिये भगवान् का धन्यवाद अवश्य करें।
  • जब आप दुःखी होते हैं, तो दूसरों से प्रेम चाहते हैं। जब दुसरे दुःखी होते हैं, क्या तब आप दूसरों को अपना प्रेम बांटते हैं? हैं आश्चर्य!
  • उन्नति की जाँच करने का सही तरिका हैंतुलना यह तुलना दूसरों से नहीं करनी, बल्कि अपने ही बीते कल के दिन से, आज के दिन की करें !!!!!
  • अपनी समस्याओं के बारे में दूसरों से शिकायत करें, आधे से अधिक समस्याएं आपने स्वयं उत्पन् की हैं। आत्म निरीक्षण से उन्हें दूर करें।
  • प्रत्येक चुनौतियों को जीत लेने पर आप कुछ और मजबूत, अधिक अनुभवी और अधिक तैय्यार हो जाते हैं, अपनी बाकी जीवन यात्रा को पूरा करने के लिये।
  • जो गलतियाँ कर चुके हैं, उनका तो दण्ड भोगना ही पडेगा। कम से कम इतना तो संकल्प कर ही सकते हैं, कि अब और गलतियाँ नहीं करेंगे।
  • अपनी तुलना किसी भी व्यक्ति से करें, यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप अपना ही अपमान कर रहे हैं। संसार में हर व्यक्ति स्पेशल = अलग ही हैं।
  • दूसरों के गुण देखें। यदि आप सब में ही दोष देखेंगे, तो किसी के भी साथ नहीं रह पायेंगे। जिनके साथ रहते हैं, उनके गुण देखें दोष नहीं।
  • पर हमेशा विश्वास रखें। माता, पिता, सच्चें गुरु और ईश्वर। ये कभी दुःख नहीं देंगे। जो इन की बात नहीं मानेगा, वह ज़रूर दुःखी होगा।
  • चीजें कभी तोडे = विश्वास, वचन, सम्बन्ध और दिल। जब ये चीजें टूटती हैं, तो आवाज़ तो नहीं आता, लेकिन कष्ट बहुत होता हैं।
  • किसी से प्रेम करना हो तो दिल से करो, सिर्फ़ ज़ुबान से नहीं। किसी पर गुस्सा करना हो तो सिर्फ़ ज़ुबान से करो, दिल से नहीं। सुखी रहोगे।
  • बुरा समाचार समय उडता हुआ भागा जा रहा हैं। अच्छा समाचार पायलट आप हैं। जिधर चाहें, उधर ही समय का सदुपयोग कर सकते हैं।
  • सभी पर विश्वास करना खतरनाक हैं। किसी पर भी विश्वास करना उससे भी अधिक खतरनाक हैं। खुद पर और ईश्वर पर अवश्य विश्वास करें।
  • हर व्यक्ति सारी दुनियाँ को बदल देना चाहता हैं, परन्तु अपने आप को कोई बदलाना नहीं चाहता। अपने आप को बदलने से ही सुख मिलेगा।
  • "हमेशा प्रथम आना" ही जीतने का अर्थ नहीं हैं, जीतने का यह भी तो अर्थ हैं, कि अब आप "पहले से अधिक अच्छ काम करने लगे हैं।"
  • प्रेम करना सीखें यदि हम दिखने वाले व्यक्ति से प्रेम नहीं कर सकते, उससे घृणा करते हैं, तो दिखने वाले ईश्वर से कैसे प्रेम कर पायेंगे?
  • सारा जगत स्वतंत्रता के लिए लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है।
    - श्री अरविंद
  • सत्याग्रह की लड़ाई हमेशा दो प्रकार की होती है। एक ज़ुल्मों के खिलाफ़ और दूसरी स्वयं की दुर्बलता के विरुद्ध।
    - सरदार पटेल
  • कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढ़ाती है।
    - सावरकर
  • तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरे सारे सुख तो अज्ञान मात्र हैं।
    - वाल्मीकि
  • संयम संस्कृति का मूल है। विलासिता निर्बलता और चाटुकारिता के वातावरण में न तो संस्कृति का उद्भव होता है और न विकास।
    - काका कालेलकर
  • जो सत्य विषय हैं वे तो सबमें एक से हैं झगड़ा झूठे विषयों में होता है।
    -सत्यार्थप्रकाश
  • जिस तरह एक दीपक पूरे घर का अंधेरा दूर कर देता है उसी तरह एक योग्य पुत्र सारे कुल का दरिद्र दूर कर देता है
    - कहावत
  • सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है।
    - कथा सरित्सागर
  • चाहे गुरु पर हो या ईश्वर पर, श्रद्धा अवश्य रखनी चाहिए। क्यों कि बिना श्रद्धा के सब बातें व्यर्थ होती हैं।
    - समर्थ रामदास
  • यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाए तो वह ख़तरनाक भी हो सकती है।
    - इंदिरा गांधी
  • प्रजा के सुख में ही राजा का सुख और प्रजाओं के हित में ही राजा को अपना हित समझना चाहिए। आत्मप्रियता में राजा का हित नहीं है, प्रजाओं की प्रियता में ही राजा का हित है।
    - चाणक्य
  • द्वेष बुद्धि को हम द्वेष से नहीं मिटा सकते, प्रेम की शक्ति ही उसे मिटा सकती है।
    - विनोबा
  • साहित्य का कर्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है परंतु एक नया वातावरण देना भी है।
    - डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
  • लोकतंत्र के पौधे का, चाहे वह किसी भी किस्म का क्यों न हो तानाशाही में पनपना संदेहास्पद है।
    - जयप्रकाश नारायण
  • बाधाएँ व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिए, मंद नहीं पड़ना चाहिए।
    - यशपाल
  • सहिष्णुता और समझदारी संसदीय लोकतंत्र के लिए उतने ही आवश्यक है जितने संतुलन और मर्यादित चेतना।
    - डॉ. शंकर दयाल शर्मा
  • जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है।
    - नारदभक्ति
  • धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं।
    - महाभारत
  • दंड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिए लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिए।
    - रामायण
  • शाश्वत शांति की प्राप्ति के लिए शांति की इच्छा नहीं बल्कि आवश्यक है इच्छाओं की शांति।
    - स्वामी ज्ञानानंद
  • धर्म का अर्थ तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है। धर्म एक संयोजक तत्व है। धर्म लोगों को जोड़ता है।
    - डॉ. शंकरदयाल शर्मा
  • त्योहार साल की गति के पड़ाव हैं, जहाँ भिन्न-भिन्न मनोरंजन हैं, भिन्न-भिन्न आनंद हैं, भिन्न-भिन्न क्रीडास्थल हैं।
    - बरुआ
  • दुखियारों को हमदर्दी के आँसू भी कम प्यारे नहीं होते।
    - प्रेमचंद
  • अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है।
    -जयशंकर प्रसाद
  • अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से
    उन्हें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियाँ बनाते हैं।
    - महर्षि अरविंद
  • जंज़ीरें, जंज़ीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं।
    - स्वामी रामतीर्थ
  • जैसे अंधे के लिए जगत अंधकारमय है और आँखों वाले के लिए प्रकाशमय है वैसे ही अज्ञानी के लिए जगत दुखदायक है और ज्ञानी के लिए आनंदमय।
    - संपूर्णानंद
  • नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण होते हैं। शेष सब नाममात्र के भूषण हैं।
    - संत तिरुवल्लुर
  • वही उन्नति करता है जो स्वयं अपने को उपदेश देता है।
    - स्वामी रामतीर्थ
  • अपने विषय में कुछ कहना प्राय: बहुत कठिन हो जाता है क्यों कि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को।
    - महादेवी वर्मा
  • करुणा में शीतल अग्नि होती है जो क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है।
    - सुदर्शन
  • हताश न होना ही सफलता का मूल है और यही परम सुख है।
    - वाल्मीकि
  • मित्रों का उपहास करना उनके पावन प्रेम को खंडित करना है।
    - राम प्रताप त्रिपाठी
  • नेकी से विमुख हो जाना और बदी करना नि:संदेह बुरा है, मगर सामने हँस कर बोलना और पीछे चुगलखोरी करना उससे भी बुरा है।
    - संत तिरुवल्लुवर
  • जय उसी की होती है जो अपने को संकट में डालकर कार्य संपन्न करते हैं। जय कायरों की कभी नहीं होती।
    - जवाहरलाल नेहरू
  • कवि और चित्रकार में भेद है। कवि अपने स्वर में और चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।
    - डॉ. रामकुमार वर्मा
  • जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान ध्येय के लिए समर्पित हो। यह समर्पण ज्ञान और न्याययुक्त हो।
    - इंदिरा गांधी
  • तलवार ही सब कुछ है, उसके बिना न मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है और न निर्बल की।
    - गुरु गोविंद सिंह
  • मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है।
    - गौतम बुद्ध
  • स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है!
    - लोकमान्य तिलक
  • सच्चे साहित्य का निर्माण एकांत चिंतन और एकांत साधना में होता है।
    - अनंत गोपाल शेवडे
  • कुटिल लोगों के प्रति सरल व्यवहार अच्छी नीति नहीं।
    - श्री हर्ष
  • अनुभव, ज्ञान उन्मेष और वयस् मनुष्य के विचारों को बदलते हैं।
    - हरिऔध
  • जो अपने ऊपर विजय प्राप्त करता है वही सबसे बड़ा विजयी हैं।
    - गौतम बुद्ध
  • अधिक अनुभव, अधिक सहनशीलता और अधिक अध्ययन यही विद्वत्ता के तीन महास्तंभ हैं।
    - अज्ञात
  • जो दीपक को अपने पीछे रखते हैं वे अपने मार्ग में अपनी ही छाया डालते हैं।
    - रवींद्र
  • जहाँ प्रकाश रहता है वहाँ अंधकार कभी नहीं रह सकता।
    - माघ्र
  • मनुष्य का जीवन एक महानदी की भाँति है जो अपने बहाव द्वारा नवीन दिशाओं में राह बना लेती है।
    - रवींद्रनाथ ठाकुर
  • प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है।
    - रवींद्रनाथ ठाकुर
  • कविता का बाना पहन कर सत्य और भी चमक उठता है।
    - अज्ञात
  • हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है। उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है।
    - वाल्मीकि
  • अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है।
    - प्रेमचंद
  • जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिए।
    - वेदव्यास
  • विकास के लिए नम्रता जरुरी है



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