बुधवार, 23 अगस्त 2017



** ययाति
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय से सम्बद्ध परफार्मिंग आर्ट्स के रंगमंच प्रशिक्षण से जुड़े छात्रों ने रँगसंस्था बुनियाद के बैनर तले असगर अली के निर्देशन में सुप्रसिद्ध नाटककार गिरीश कर्नाड के बहुचर्चित पौराणिक नाटक ययाति का वैचारिक स्तर पर झकझोर देने वाला यादगार मंचन किया । एक पुरानी कथा होने के बावजूद यह नाटक आज भी अपने प्रासंगिकता को बनाए हुए है । यह नाटक बताता है कि जब व्यक्ति की अपेक्षाएं आकांक्षाएं सीमा से बाहर जाने लगती है तब मानवीय रिश्ते बिखरने लगते हैं । असगर अली ने इस नाटक को कुछ इस तरह डिजाइन किया है कि इस नाटक को मंच पर घटित होते देखना 77 m m की किसी वाइड एंगल
पेरोनेमिक फ़िल्म को देखने जैसा आनुभव बन गया । रंगमंच के व्याकरण में कसे कम्पोज़िशनस सुजॉय घोषाल के प्रकाश संचालन और लाइट डिजाइनिंग से नाटक के थर्ड डायमेंशन को भी अर्थपूर्ण बनाने में सफल रहै । बेशक थोड़ा तेज संगीत संवादों तक पहुंचने में कहीं-कहीं बाधा बना लेकिन संगीत ने नाटक की गति और वातावरण को बनाए रखने में बहुत सहयोग किया । सभी अभिनेताओं ने मंचन के तनाव को झेलते हुए अपना सर्वोत्तम देने की कोशिश की । संवाद बोले गए और खूब बोले गए । कहीं-कहीं पात्रों ने इन सम्वादों को जीने की भी कोशिश की जिसके कारण यह नाटक नाटक के अनुरूप देशकाल और परिस्थितियों से दर्शकों को जोड़ सका । हिंदी नाटक अधिकतर अपने तामझाम और लटके-झटके के सहारे चलता है लेकिन इस नाटक में इन चीजों के होने के बावजूद नाटक के कंटेंट पर पकड़ निर्देशक और अभिनेताओं की काफी बेहतर थी। कई अभिनेताओं की आवाज मंच के अनुरूप कल्टीवेट न होने के कारण ठीक से संप्रेषित नहीं हो रही थी लेकिन जिन स्थानों पर संगीत पक्ष नहीं था वहां इन अभिनेताओं की आवाज का संप्रेषण बहुत बेहतर था । सभी पात्र बहुत सुंदर थे और उनके वस्त्र विन्यास ने पात्रों को जीवंत कर दिया था । अच्छी बात यह थी कि निर्देशक ने पूरे मंच का इस्तेमाल किया और एक ज़ोन दूसरे ज़ोन से सहजता से जुड़े थे । पूर्वाभ्यास से हासिल की गई अभिनय दक्षता को हम इस नाटक के लगभग सभी अभिनेताओं में देख सकते थे । इस नाटक में वरुण कुमार ने अपने आप को एक बेहतर अभिनेता साबित करने में सफलता पाई । इस तरह के चुनौतीपूर्ण नाटक जो व्यक्ति और समय के अंतर्द्वंद को सामने लाते हैं , को मंच पर प्रस्तुत करना मुश्किल काम है लेकिन असगर अली ने इसे बेहतर ढंग से कर दिखाया । गौरतलब है कि इस नाटक के पीछे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित रंग निर्देशिका विधु खरे का ओवरऑल कंट्रोल था जिसके कारण यह प्रस्तुति हर कदम पर तार्किक रही ।
ऑल इंडिया न्यू थिएटर इस शानदार प्रस्तुति के लिए ययाति के सभी कलाकारों को बधाईदेता है ।
** समीक्षक /अजामिल
* सभी चित्र / विकास चौहान


*

































कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें