गुरुवार, 5 अप्रैल 2018

**स्वर्ग रंगमंडल ने की प्रेमचंद की बहुचर्चित कहानी पंच परमेश्वर पर आधारित नौटंकी की शानदार प्रस्तुति
इलाहाबाद की लोकनाट्य और लोक संस्कृति को समर्पित संस्था स्वर्ग रंग मंडल ने मुंशी प्रेमचंद की सुप्रसिद्ध कहानी पंच परमेश्वर पर आधारित और राजकुमार श्रीवास्तव द्वारा रूपांतरित नौटंकी की शानदार प्रस्तुति की जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में नौटंकी रसिक और रंग दर्शक उत्तर प्रदेश क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के प्रेक्षागृह में उपस्थित हुए इस नौटंकी का निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी और लोकनाट्य विशेषज्ञ अतुल यदुवंशी ने उतनी ही सादगी के साथ किया जितनी सादगी के साथ इस कहानी को मुंशी प्रेमचंद जी ने कलमबद्ध किया है सबसे अच्छी बात यह है कि यह नौटंकी रूपांतरण उन सभी जीवन मूल्यों को पूरी सहायता के साथ दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत करता है जिनकी चर्चा मुंशी प्रेमचंद ने कहानी में की है बिना किसी तामझाम के एक सहज परिकल्पित मंच पर नौटंकी के सभी पात्र पारंपरिक नौटंकी की सीमाओं को धीरे धीरे तोड़ते हैं और कहानी के अर्थ को सार्थक करते हुए एक नया विस्तार लेते हैं नौटंकी के निर्देशन में अतुल यदुवंशी किसी पात्र पर कोई दबाव नहीं बनाते बल्कि उन्हें अर्थ विस्तार के लिए पर्याप्त क्षेत्र प्रदान करते हैं निश्चय ही ऐसा करने में राज कुमार श्रीवास्तव की नौटंकी रूपांतरण ने उन्हें पूरा पूरा सहयोग किया है मुझे ऐसा लगता है कि समय के अनुसार नौटंकी को आज के संदर्भ में और अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए जरूरी है कि रुपांतर कार भी कहानी की सीमा से बाहर निकलकर सभी साधकों को नया अर्थ देने का प्रयास करें राज कुमार श्रीवास्तव ने काफी सीमा तक यह कोशिश की है और जिसे धारदार बनाने में अतुल यदुवंशी ने कोई कसर नहीं छोड़ी है नौटंकी में सूत्रधार अपने अभिनय और अभिव्यक्ति में पूरी तरह सफल रहे नट नटी दोनों की आवाज नौटंकी के प्रसंगों के साथ पूरे उतार चढ़ाव के दर्शक को स्पर्श करती रही सभी महिला पात्रों ने डूब कर अभिनय किया सोनम सेठ एक बेहतरीन रंग अभिनेत्री है लेकिन इस नौटंकी में उन्हें जो भूमिका दी गई वह उनके व्यक्तित्व के अनुकूल नहीं थी बावजूद इसके सोनम सेठ ने बड़ी बारीकी से वह सब कुछ निकाल दिया और किया जो उनका चरित्र डिमांड करता था और सोनम सेठ को यथोचित सराहना भी मिली अन्य सभी पात्र इस बेहतरीन नौटंकी के बेहतरीन पेच पुर्जे साबित हुए सभी ने अपनी भूमिका पूरी शिद्दत के साथ निभाई और नौटंकी को सब तरफ से कैसे रहे अतुल यदुवंशी जब नौटंकी करते हैं तो नौटंकी को नाटक की तकनीक से अलग नहीं रखते नौटंकी परंपरा और नाट्य परंपरा का मिलाजुला स्वरूप उनकी नौटंकी में देखने को मिलता है मनोरंजन को अतुल यदुवंशी नौटंकी की पहली शर्त मानते हैं कोई गंभीर बात कहने से पहले अतुल यदुवंशी अपने दर्शकों को पूरी तरह रिलैक्स करते हैं अपने दर्शकों को वह स्वतंत्रता देते हैं कि वह नौटंकी के कंटेंट के बारे में अपने तरीके से सोचें अतुल यदुवंशी नौटंकी में कोई ऐसी बात नहीं करते जिससे उनका दर्शक किसी तरह के तनाव में आए इसके स्थान पर अतुल संवाद की संभावनाएं तलाश करते हैं जो कि नौटंकी को फिलहाल उनका योगदान कहा जा सकता है पंच परमेश्वर नौटंकी में सेट नहीं था इसकी कोई आवश्यकता भी महसूस नहीं हुई लेकिन नौटंकी के पारंपरिक संगीत में माहौल को जीवंत कर दिया था सच कहा जाए तो पंच परमेश्वर नौटंकी की शर्तों पर पूरी तरह खरी उतरती है और यह बताती है कि आने वाला समय मनोरंजन के सिलसिले में एक बार फिर अपनी जमीन के साथ जुड़ने वाला है और नौटंकी नौटंकी नहीं रह जाएगी बल्कि वह तमाम दृश्य कलाओं का आधार बनेगी रंगकर्मियों में जमीन से जुड़कर दोनों हाथ ऊपर उठाकर पूरा आकाश समेट लेने की आकांक्षा दिखाई दे रही है और नौटंकी की तरफ उनकी आस्था फिर वापस हो रही है यह सुखद है ऑल इंडिया न्यू थिएटर पंच परमेश्वर नौटंकी के सभी कलाकारों निर्देशक और नौटंकी रूपांतर कार को इस सफल प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई देता है हमारे विश्वास है कि स्वर्ग रंगमंडल नौटंकी की जीवंत वापसी के लिए ही संघर्ष नहीं कर रहा है बल्कि नई सोच के साथ नई परंपराएं भी बना रहा है स्वर्ग रंगमंडल की पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनाए।
** अजामिल ं
सभी चित्र विकास चौहान

































































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