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गुरुवार, 4 जनवरी 2018

** यह जो है ज़िंदगी संतुलन के कमाल पर सिंकी रोटिया आजादी के बाद कुछ दशकों तक हमारे देश में कुछ सुप्रसिद्ध सर्कस हुआ करते थे धीरे धीरे आज यह सर्कस लगभग समाप्त हो चुके हैं और जो थोड़े बहुत छोटे शहरों कस्बों और गांव देहाती में पहुंच भी जाते हैं तो यह सर्कस इतना ज्यादा आर्थिक संघर्ष कर रहे हैं कि इनका नाम बस समाप्त होने को है अपने देश में कुछ जनजातियां और बंजारे स्ट्रीट सर्कस लेकर आते जाते मेलेों में दिखाई दे जाते हैं इलाहाबाद के पिछले साल इलाहाबाद के कुंभ में हमें एक ऐसा ही बंजारा परिवार मिला था उसके परिवार में कुल 4 लोग थे इनमें परिवार का मुखिया मेले में स्ट्रीट सर्कस का तामझाम लगाता था परिवार की मुखिया स्त्री और उसका बेटा ढोलक और ताली बजाकर पूरे खेल के दौरान एक ले पूर्ण संगीत पैदा करते थे एक बेटी थी जो सामान्य से कुछ अलग और अजीबोगरीब कपड़े पहन कर दो के बीच तनी हुई रस्सी पर चलकर स्ट्रीट सर्कस के एरीना के इर्द-गिर्द खड़े दर्शकों का मनोरंजन करती थी तरह-तरह के करतब दिखाती थी रस्सी पर नाचना भी उसका एक कर्तव्य था जमीन से वह यह सारे करता इतनी ऊंचाई पर करती थी कि अगर उसका संतुलन बिगड़ जाए तो वह नीचे गिर कर अपना हाथ पैर अवश्य तोड़ बैठे परंतु रोज के अभ्यास और पूरे परिवार की रोटी कमाने की जिम्मेदारी ने उसे सभी तरह के भय से मुक्त कर दिया था स्ट्रीट सर्कस के उस मुखिया ने हमें बताया कि अब उसकी बिरादरी में बहुत कम लोग ऐसे रह गए हैं जो इस तरह का पेशा करते हैं स्ट्रीट सर्कस की यह विधा अब समाप्त हो रही है लोग उनके संतुलन का कमाल देखकर रुपए दो रुपए भी उन्हें शाबाशी के तौर पर नहीं देना चाहते उसका परिवार हमेशा आर्थिक संघर्ष में फंसा रहता है उसे लड़की की शादी करनी है लेकिन शादी के बाद जब लड़की चली जाएगी तब उसका परिवार कैसे चलेगा यह सोच कर वह डरा हुआ है और उसकी शादी को टाल रहा है स्ट्रीट सर्कस लुप्त हो रहा है आखिरी सांसे ले रहा है बस कुछ Banjaran जातियां हैं जो इसे जिला आए हुए हैं मेरे मित्र विकास चौहान ने स्ट्रीट सर्कस की बहुत सी तस्वीरें अपने कैमरे में कैद की है कौन जाने आगे आने वाले समय में यह तस्वीरें ही हमें स्ट्रीट सर्कस की याद दिलाने का कार्य करे आश्चर्य इस बात का है कि सरकार छोटी छोटी कलाओं को संरक्षण देती है लेकिन स्ट्रीट सर्कस को यह संरक्षण क्यों नहीं मिल रहा है सोचने वाली बात है । रिपोर्ट अजामिल चित्र विकास चौहान













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